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'अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम। दास मलूका कहि गए, सबके दाता राम॥" क्या है इसका वास्तविक अभिप्राय? साथ ही संत मलूकदास जी की भावप्रवण वाणी "तेरा मैं दीदार दीवाना। घड़ी घड़ी तुझे देखा चाहूँ, सुन साहेब रहमाना" पर आधारित चर्चा
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